भारतीय नौसेना का MQ-9B Predator ड्रोन दुर्घटनाग्रस्त, अमेरिकी कंपनी से जल्द मिलेगा नया ड्रोन
18 सितंबर, 2024, भारतीय नौसेना के लिए एक चुनौतीपूर्ण दिन साबित हुआ, जब उनका एक MQ-9B Predator ड्रोन तकनीकी खराबी के चलते चेन्नई के पास समंदर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस ड्रोन को अमेरिका की कंपनी जनरल एटॉमिक्स से लीज़ पर लिया गया था, और इसे भारतीय नौसेना की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था।
यह हाई-एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (HALE-RPA), जिसे आमतौर पर MQ-9B Sea Guardian कहा जाता है, भारतीय नौसेना द्वारा निगरानी मिशनों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। इसे 2020 में अमेरिका से लीज़ पर लाया गया था। उस समय, भारत ने अमेरिका से ये ड्रोन आपातकालीन अनुबंध के तहत मंगवाए थे ताकि भारतीय सागर क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस ड्रोन का उपयोग मुख्य रूप से भारतीय सागर क्षेत्र में चीनी जहाजों और अन्य संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया जाता है।
दुर्घटना का विवरण
18 सितंबर को दोपहर करीब 2 बजे, यह ड्रोन INS राजाली बेस से एक नियमित निगरानी मिशन के लिए रवाना हुआ। उड़ान के दौरान ड्रोन में तकनीकी खराबी आ गई, और इसे ठीक करने की कोशिश नाकाम रही। इसके बाद, ड्रोन को समंदर में एक सुरक्षित जगह पर 'नियंत्रित डिचिंग' (controlled ditching) के माध्यम से नीचे उतारा गया। नियंत्रित डिचिंग का मतलब है कि विमान को बिना ज्यादा नुकसान पहुँचाए समुद्र में उतारा गया।
भारतीय नौसेना ने इस घटना के बाद जनरल एटॉमिक्स से एक विस्तृत रिपोर्ट की मांग की है ताकि यह पता लगाया जा सके कि ड्रोन में तकनीकी खराबी कैसे हुई।
ड्रोन को बदलने की प्रक्रिया
भारतीय नौसेना के साथ हुए अनुबंध के अनुसार, जनरल एटॉमिक्स कंपनी को यह ड्रोन बदलना होगा। इस ड्रोन को हर महीने एक निश्चित संख्या में उड़ानें भरनी होती हैं, और इस दुर्घटना के बाद, उन मिशनों को पूरा करने के लिए एक नया ड्रोन जल्द से जल्द उपलब्ध कराया जाएगा। भारतीय नौसेना और जनरल एटॉमिक्स के बीच हुए इस अनुबंध के तहत, अमेरिकी कंपनी को ड्रोन की मरम्मत और बदलने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह अनुबंध "कॉन्ट्रैक्टर ओन्ड, कॉन्ट्रैक्टर ऑपरेटेड" (COCO) मॉडल पर आधारित है, जिसमें अमेरिकी पायलट इन ड्रोन को नौसेना के भारतीय बेस से संचालित करते हैं।
भारतीय नौसेना केवल इस दुर्घटना से उबरने की योजना नहीं बना रही है, बल्कि इसके आगे की ओर भी देख रही है। भारत ने 31 और MQ-9B Predator ड्रोन खरीदने की योजना बनाई है, जिसकी लागत लगभग 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है। यह ड्रोन न केवल भारतीय सागर क्षेत्र में निगरानी के लिए, बल्कि देश की सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भी उपयोगी होंगे। भारत सरकार ने 2023 में ही इन ड्रोन की खरीद को मंजूरी दी थी, और यह सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इस घटना के प्रभाव
यह दुर्घटना दर्शाती है कि अत्याधुनिक तकनीक और जटिल ड्रोन ऑपरेशन के बावजूद, तकनीकी दिक्कतें कभी-कभी बड़ी चुनौतियाँ पैदा कर सकती हैं। हालाँकि ड्रोन को सुरक्षित रूप से समंदर में उतार दिया गया, फिर भी इसका असर नौसेना के महत्वपूर्ण निगरानी मिशनों पर पड़ा है। ड्रोन के दुर्घटनाग्रस्त होने से समुद्री सुरक्षा और निगरानी कार्यों में अस्थायी बाधा आई है, लेकिन जनरल एटॉमिक्स के जल्द ही इसे बदलने के वादे के चलते नौसेना के मिशनों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
इस घटना ने भारत की ड्रोन तकनीक और निगरानी क्षमताओं के महत्व को एक बार फिर उजागर किया है। जनरल एटॉमिक्स के साथ हुए अनुबंध और ड्रोन के तेजी से बदले जाने की प्रक्रिया यह दर्शाती है कि भारतीय नौसेना अपने मिशनों को निरंतरता और सटीकता के साथ जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अलावा, भारत द्वारा 31 और ड्रोन खरीदने की योजना से यह स्पष्ट है कि देश अपनी सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी में निवेश कर रहा है।
इस ड्रोन दुर्घटना से भारतीय नौसेना को अस्थायी रूप से चुनौती का सामना करना पड़ा है, लेकिन जल्द ही इसे बदल दिया जाएगा और नौसेना अपने मिशनों को निरंतर जारी रखेगी। भारत और अमेरिका के बीच यह रक्षा सहयोग आने वाले वर्षों में और भी मजबूत होता दिख रहा है, जिससे भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमता और अधिक बढ़ेगी।
इस प्रकार, यह घटना केवल एक दुर्घटना न होकर भविष्य में और बेहतर रक्षा उपकरणों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
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