कंगना की ‘इमरजेंसी’ सेंसरशिप के घेरे में, रिलीज डेट टली, जानें किन दृश्यों पर लगी कैंची और क्यों उठे विवाद

feature-top

कंगना रनौत की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'इमरजेंसी' ने हाल ही में सेंसर बोर्ड से "यूए" सर्टिफिकेट (UA Certificate) प्राप्त किया है। हालांकि, इस प्रक्रिया में कई बदलाव और विवाद सामने आए हैं। सेंसर बोर्ड ने फिल्म को रिलीज करने के लिए कुछ शर्तें रखी हैं, जिनमें कुछ सीन काटने और डिस्क्लेमर जोड़ने का निर्देश शामिल है। इस लेख में, हम इस मामले का विस्तृत विश्लेषण करेंगे, जिसमें सेंसर बोर्ड के निर्णय, फिल्म के कानूनी मुद्दे और रिलीज में देरी शामिल हैं।

सेंसर बोर्ड के फैसले की पृष्ठभूमि

कंगना रनौत की फिल्म 'इमरजेंसी', जो भारत में 1975 से 1977 तक लागू की गई आपातकालीन स्थिति पर आधारित है, ने जुलाई 2024 में सर्टिफिकेशन के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) को भेजी थी। अगस्त 2024 में, सेंसर बोर्ड ने फिल्म के कुछ दृश्यों पर आपत्ति जताते हुए उन पर कट लगाने और डिस्क्लेमर जोड़ने का निर्देश दिया। इन दृश्यों में मुख्य रूप से ऐतिहासिक घटनाओं की संवेदनशीलता और कुछ हिंसात्मक चित्रण शामिल थे​।

कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी

किन दृश्यों पर सेंसर बोर्ड ने आपत्ति जताई?

सेंसर बोर्ड ने जिन दृश्यों पर आपत्ति जताई, उनमें से कुछ प्रमुख हैं: एक दृश्य जिसमें पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा बांग्लादेशी शरणार्थियों पर हमला किया जाता है, विशेष रूप से एक दृश्य जहां एक सैनिक एक नवजात शिशु का सिर कुचलता है। इसके अलावा, फिल्म में तीन महिलाओं के सिर काटने का दृश्य भी शामिल था, जिसे सेंसर बोर्ड ने हटाने का निर्देश दिया। इसके साथ ही, एक अन्य दृश्य में भीड़ द्वारा गाली-गलौज और एक परिवार के उपनाम का संदर्भ भी संशोधित करने के लिए कहा गया​।

ऐतिहासिक घटनाओं पर डिस्क्लेमर की मांग

फिल्म में ऐतिहासिक घटनाओं का चित्रण होने के कारण, सेंसर बोर्ड ने यह भी निर्देश दिया कि इन घटनाओं पर स्पष्ट डिस्क्लेमर दिया जाए। सेंसर बोर्ड ने निर्देश दिया कि फिल्म में जिन ऐतिहासिक घटनाओं का जिक्र किया गया है, उनमें प्रामाणिकता सुनिश्चित की जाए और इसके लिए उचित साक्ष्य प्रस्तुत किए जाएं। इसमें विशेष रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल द्वारा भारतीयों पर दिए गए कुछ विवादास्पद बयान शामिल थे। इन बयानों के स्रोतों की पुष्टि भी सेंसर बोर्ड ने फिल्म निर्माताओं से मांगी​।

फिल्म के खिलाफ उठी आपत्तियां

कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी

'इमरजेंसी' फिल्म के ट्रेलर रिलीज के बाद से ही फिल्म को लेकर कई विवाद सामने आए। विशेष रूप से सिख संगठनों ने फिल्म में जर्नेल सिंह भिंडरांवाले और सिख समुदाय के चित्रण पर आपत्ति जताई। उन्होंने सेंसर बोर्ड और अदालतों का दरवाजा खटखटाया और फिल्म की रिलीज को रोकने की मांग की। इससे फिल्म की रिलीज की तारीख पर अनिश्चितता बनी रही और फिल्म को सितंबर 2024 की निर्धारित तारीख से आगे बढ़ाना पड़ा​।

कानूनी लड़ाई और बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश

फिल्म निर्माताओं ने सेंसर बोर्ड द्वारा प्रमाणपत्र जारी करने में देरी के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया। अदालत ने CBFC को 18 सितंबर 2024 तक फिल्म के प्रमाणपत्र पर फैसला लेने का निर्देश दिया। इसके बाद फिल्म निर्माता 19 सितंबर को अदालत में अपनी याचिका पर सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं​। हालांकि, सेंसर बोर्ड ने 8 अगस्त को कुछ बदलाव सुझाए थे, जिनमें से अधिकांश को फिल्म निर्माताओं ने स्वीकार कर लिया था और संशोधित फिल्म को 14 अगस्त को फिर से प्रस्तुत किया था​।

फिल्म की रिलीज में देरी

कंगना रनौत ने सोशल मीडिया पर इस बात की घोषणा की कि उनकी फिल्म 'इमरजेंसी' की रिलीज को सेंसर बोर्ड की प्रक्रिया के कारण स्थगित करना पड़ा है। फिल्म को पहले 6 सितंबर 2024 को रिलीज करने की योजना थी, लेकिन अब तक नई रिलीज डेट की घोषणा नहीं की गई है। कंगना ने अपने बयान में दर्शकों से धैर्य रखने की अपील की और कहा कि वह जल्द ही फिल्म की नई रिलीज डेट की घोषणा करेंगी​।

सेंसर बोर्ड के सामने प्रस्तुतियाँ और सुधार

फिल्म निर्माताओं ने सेंसर बोर्ड द्वारा सुझाए गए अधिकांश कट और बदलाव को स्वीकार कर लिया था। हालांकि, कुछ विवादास्पद दृश्य, जैसे कि भिंडरांवाले का चित्रण और सिख समुदाय से संबंधित कुछ संदर्भ, सिख संगठनों द्वारा कोर्ट में चुनौती दी गई। यह स्पष्ट है कि फिल्म की रिलीज तक, इन मुद्दों पर कानूनी और संवैधानिक स्तर पर चर्चा जारी रहेगी​।

निष्कर्ष

'इमरजेंसी' फिल्म सेंसरशिप और कानूनी विवादों के कारण फिलहाल अपनी तय रिलीज से पीछे हो गई है। फिल्म को लेकर समाज में विभिन्न समूहों की संवेदनशीलता और इतिहास के चित्रण पर ध्यान दिया जा रहा है। सेंसर बोर्ड के निर्देशों और अदालत की सुनवाई के बाद ही यह तय होगा कि फिल्म कब सिनेमाघरों में दस्तक देगी। फिल्म की कहानी और इतिहास की सच्चाई को दर्शकों तक पहुंचाने के लिए, यह आवश्यक है कि फिल्म निर्माता सभी कानूनी शर्तों का पालन करें और सेंसर बोर्ड के आदेशों के अनुरूप जरूरी बदलाव करें।

feature-top

Readers Comment

feature-top

Login For Comment