CHRISTMAS DAY 2024: भारत में क्यों छा रहा है क्रिसमस का जादू? जानिए इस त्योहार की बढ़ती धूम!

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क्रिसमस क्यों मनाते हैं और यह भारतीय संस्कृति पर कैसे प्रभाव डाल रहा है

क्रिसमस एक ऐसा पर्व है जिसे हर साल 25 दिसंबर को पूरे दुनिया में मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से ईसाई धर्म से जुड़ा हुआ है, जो प्रभु ईसा मसीह के जन्म का उत्सव है। हालांकि, यह पर्व ईसाई समुदाय तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अब दुनियाभर के अन्य धर्मों और संस्कृतियों के लोग भी इसे मनाने लगे हैं। भारत में क्रिसमस का उत्सव न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी बढ़ता जा रहा है।

क्रिसमस क्यों मनाते हैं?

क्रिसमस, ईसा मसीह के जन्म की याद में मनाया जाता है, जो ईसाई धर्म के सर्वोत्तम शिक्षक और धार्मिक नेता थे। उनका जन्म करीब 2000 साल पहले बेथलहम में हुआ था। ईसाई धर्म के अनुयायी इसे एक ऐसे दिन के रूप में मनाते हैं जब भगवान ने मानवता के उद्धार के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया था। इस दिन लोग चर्च में प्रार्थना करते हैं, विशेष मठों में पूजा अर्चना करते हैं, और एक-दूसरे को बधाइयां देते हैं।

क्रिसमस का पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह प्रेम, भाईचारे, और दया के भावों को भी बढ़ावा देता है। लोग इस दिन एक-दूसरे को उपहार देते हैं, गरीबों की मदद करते हैं और परिवार और मित्रों के साथ मिलकर समय बिताते हैं।
Cristmas Celibration

भारतीय संस्कृति पर क्रिसमस का प्रभाव

भारत में, जहां विविधता का सम्मान किया जाता है, क्रिसमस का उत्सव एक सांस्कृतिक मिलनसारिता का रूप ले चुका है। भारत में विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का मिश्रण है, और क्रिसमस को भी लोग इसी व्यापक दृष्टिकोण से मनाते हैं। क्रिसमस के दौरान भारतीय शहरों में सजावट, कैरोल्स (धार्मिक गीत), और विशेष मेलों का आयोजन किया जाता है, जो भारतीय परंपरा के साथ एक नया रूप लेते हैं।

कई हिंदू और मुस्लिम परिवार भी इस दिन को उत्साह और खुशी के साथ मनाते हैं। यह एक तरह से धार्मिक धारा और सांस्कृतिक समन्वय का प्रतीक बन गया है। भारतीय बाजारों में क्रिसमस से संबंधित सजावट, तोहफे, और खाद्य पदार्थों की भारी बिक्री होती है। क्रिसमस ट्री की सजावट, बत्तियाँ, और रंग-बिरंगे कागज के सितारे अब भारतीय घरों की छतों और बगीचों में भी दिखाई देते हैं।

क्यों अधिक भारतीय क्रिसमस मना रहे हैं?

भारत में क्रिसमस का उत्सव खासकर शहरी क्षेत्रों में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:

  1. आधुनिकता और वैश्वीकरण: आजकल, भारतीय समाज तेजी से वैश्विक हो रहा है। इंटरनेट और मीडिया के प्रभाव से पश्चिमी सभ्यता के कई पहलू भारतीय समाज में प्रवेश कर चुके हैं। जैसे कि क्रिसमस का पर्व, पश्चिमी देशों में यह एक बडी धूमधाम से मनाया जाता है, और भारत में भी इसे एक प्रमुख सांस्कृतिक घटना के रूप में देखा जाता है।
  2. सामाजिक मेल-जोल: क्रिसमस का पर्व एक अवसर प्रदान करता है, जब लोग एक-दूसरे से मिलते हैं, रिश्ते मजबूत करते हैं और खुशी साझा करते हैं। भारत में इस दिन को परिवार और मित्रों के साथ समय बिताने के रूप में मनाने का चलन बढ़ रहा है।
  3. उपहारों और शॉपिंग का आकर्षण: क्रिसमस के आसपास बाजारों में विशेष छूट और उत्सवों का आयोजन होता है, जो लोगों को शॉपिंग की ओर आकर्षित करता है। उपहारों का आदान-प्रदान भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है, जिससे लोग इस पर्व को आनंद से मनाते हैं।
  4. रचनात्मकता और आनंद: बच्चों और युवाओं के बीच क्रिसमस की सजावट, क्रिसमस ट्री और सांता क्लॉज़ का आकर्षण बढ़ता जा रहा है। यह पर्व आनंद और रचनात्मकता के साथ जुड़ा हुआ है, जो भारतीय परिवारों को एक नए तरह का उत्सव मनाने का अवसर देता है।

क्रिसमस और सांता क्लॉज़ का संबंध

क्रिसमस के साथ एक और बहुत प्रसिद्ध और प्रिय पात्र जुड़ा हुआ है – सांता क्लॉज़। सांता क्लॉज़, जिन्हें हम भारतीयों के बीच 'क्रिसमस बाबा' या 'सांता' के नाम से भी जानते हैं, बच्चों के लिए खास रूप से एक आकर्षक और उत्साही पात्र हैं। यह चरित्र अक्सर एक सफेद दाढ़ी वाले, लाल कपड़े पहने, खुशी से भरे व्यक्ति के रूप में दर्शाया जाता है, जो अपने रेनडियर (हर्षित हिरण) के साथ आकर बच्चों को तोहफे देता है। सांता क्लॉज़ की यह परंपरा विशेष रूप से पश्चिमी देशों से आई है, लेकिन अब भारत में भी यह बहुत लोकप्रिय हो चुकी है। क्रिसमस के समय, छोटे बच्चे सांता से उपहार मिलने का इंतजार करते हैं और उसे अपनी इच्छा पत्र लिखकर भेजते हैं। सांता क्लॉज़ के इस जादुई व्यक्तित्व ने क्रिसमस को और भी रंगीन और मजेदार बना दिया है, जिससे इस दिन की खुशी और आनंद को बढ़ाया जाता है। इस क्यूट और फेमस प्रतीक के माध्यम से, लोग न केवल क्रिसमस को मनाते हैं, बल्कि इसके जरिए प्रेम, खुशी, और दान की भावना को भी फैलाते हैं।

क्रिसमस का पर्व अब सिर्फ ईसाई धर्म तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह भारत की विविधता में एक नया रंग जोड़ चुका है। भारतीय समाज में इसका प्रभाव बढ़ता जा रहा है, और अधिक से अधिक लोग इसे धार्मिक भावना के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक आनंद के रूप में मनाते हैं। भारतीय संस्कृति में इसे एक नये उत्सव के रूप में अपनाया जा रहा है, जो एकता, प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है।

समाज के हर वर्ग में इस पर्व की बढ़ती लोकप्रियता यह सिद्ध करती है कि जब विभिन्न धर्म और संस्कृतियाँ एक-दूसरे से जुड़ती हैं, तो एक नई सांस्कृतिक धारा उत्पन्न होती है, जो सभी को एकसाथ खुशियों और उल्लास के क्षणों का अनुभव कराती है।

 

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